मंगलवार, 2 फ़रवरी 2010

अपने दुश्मन को सीने से लगा ........

तेरी खुशबू को सांसों में बसा लेते है |
याद आती है तो सीने में दबा लेते है ||

वक़्त ए तन्हाई में खो न जाएँ कहीं |
तेरी यादों को रातों में जगा लेते है ||

कौन किसका इस तरह एतबार करे |
लोग हर मोड़ पर अपनों को दगा देते है ||

वो जो नदिया है बलखाती इठलाती हुई |
हम अपने दिल को समंदर बना लेते है ||

मुहब्बत से सीखा है दोस्ती का सबब |
अपने दुश्मन को सीने से लगा लेते है ||

खुदाया ऐसे शख्स का अहतराम करे |
किसी के वास्ते जो खुद को मिटा लेते है |

22 टिप्‍पणियां:

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

kisi ki waaste jo khud ko mitaa lete hain...

bahut he achhi rachna bhai saab...

Pushpendra Singh "Pushp" ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

खुदाया ऐसे शख्स का अहतराम करे |
किसी के वास्ते जो खुद को मिटा लेते है |
बहुत खूब. बधाई.

my blog ने कहा…

सिंह साहब
आपका ब्लॉग बगैर पढ़े रहा नहीं जाता
बड़ी कशिस है आपकी रचनाओ में
वक़्त ए तन्हाई में खो न जाएँ कहीं |
तेरी यादों को रातों में जगा लेते है ||
........क्या बात है .........
मैंने बहुत कोशिश की मगर ब्लॉग नहीं लिख पाया
कुछ टिप्स दें |

अमिताभ श्रीवास्तव ने कहा…

singh sahab,
मुहब्बत से सीखा है दोस्ती का सबब |
अपने दुश्मन को सीने से लगा लेते है ||
lazavaab she'r.

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

खुदाया ऐसे शख्स का अहतराम करे |
किसी के वास्ते जो खुद को मिटा लेते है |

badhia , badhaai.

Unknown ने कहा…

wah
lajwaab

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत सुन्दर!!

अमित ने कहा…

पहली बार आपके ब्लाग पर आया । रचनाऍ बहुत ही उम्दा है । बहुत बधाई ।

Unknown ने कहा…

इस शेर की जितनी भी तारीफ की जाये
कम है -
कौन किसका इस तरह एतबार करे |
लोग हर मोड़ पर अपनों को दगा देते है ||
किसी को किसी पर एतवार नहीं है |

दिगम्बर नासवा ने कहा…

मुहब्बत से सीखा है दोस्ती का सबब
अपने दुश्मन को सीने से लगा लेते है

खुदाया ऐसे शख्स का अहतराम करे
किसी के वास्ते जो खुद को मिटा लेते है..

ग़ज़ब के शेर कहे हैं ......... बेहद हसीन, लाजवाब .........
पूरी गाज़ल ताज़ा शेरों का गुलदस्ता है .......

रंजीत/ Ranjit ने कहा…

बहुत खूब! कोमल भावों को बहुत ही कोमलता से पकड़ कर परोस दिया है, आपने। मन, बसंती हो गया। बधाई।

daanish ने कहा…

khudaya aise shakhs ka ehatraam karein
kisi ke vaaste jo khud ko mitaa lete hain

bahut hi khoobsurat sher kahe hain
gazal mei taazgi bhi hai
aur sanjeedgi bhi ...

abhivaadan .

Pawan Kumar ने कहा…

No doubt......this ghazal is a beautiful combination of words ane feelings.Keep it up....i would like to appreciate this sher especially.....
वो जो नदिया है बलखाती इठलाती हुई |
हम अपने दिल को समंदर बना लेते है ||
wah wah......

Prem Farukhabadi ने कहा…

कौन किसका इस तरह एतबार करे |
लोग हर मोड़ पर अपनों को दगा देते है ||
bahut sahi kaha. badhai!

सदा ने कहा…

बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों के साथ अनुपम प्रस्‍तुति ।

निर्मला कपिला ने कहा…

खुदाया ऐसे शख्स का अहतराम करे |
किसी के वास्ते जो खुद को मिटा लेते है |
मुहब्बत से सीखा है दोस्ती का सबब
अपने दुश्मन को सीने से लगा लेते है
वाह सिन्ह साहिब बहुत कमाल की प्रस्तुति है बधाई

मनोज भारती ने कहा…

आपकी रचनाएँ सुंदर और दिल को छुने वाली हैं ।

अर्कजेश Arkjesh ने कहा…

वो जो नदिया है बलखाती इठलाती हुई |
हम अपने दिल को समंदर बना लेते है ||

यह शेर खास तौर पर पसंद आया । पूरी गजल बेहतरीन है ।
लगातार अच्‍छी रचनाऍं दे रहे हैं आप ।

kshama ने कहा…

खुदाया ऐसे शख्स का अहतराम करे |
किसी के वास्ते जो खुद को मिटा लेते है
Bahut khoob!

Unknown ने कहा…

psingh ji
is sher me to maza a gaya
वक़्त ए तन्हाई में खो न जाएँ कहीं |
तेरी यादों को रातों में जगा लेते है ||
very practical View.........

Unknown ने कहा…

खुदाया ऐसे शख्स का अहतराम करे |
किसी के वास्ते जो खुद को मिटा लेते है |
bahut khoob
kya baat, kya baat, kya baat

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