शनिवार, 19 मई 2012

एक नई कविता की खोज




एक नई कविता की खोज
हर दिन हर पल
तुम्हें समर्पित
नदिया सागर पवन घटाएँ
जुगनू हो या तितली,पंक्षी
हरियाली या पेड़ की ओट
बातों में हालातों में
सावन की बरसातों में
दूर निकल जाता हूँ
अक्सर यादों के बाजारों में
सूरज चाँद सितारे देखे
इंसानों में शैतानों  में
राहों में चौबारों में
फूलों की खुशबु हो या
भंवरों की गुन गुन
हाथों की चूड़ी हो या
पायल की छन छन
ईश्वर तेरे घर में खोजा
होली दिवाली या हो रोजा
सहरा की भी छान के मिटटी
घर को थक कर आता रोज
एक नई कविता की खोज

पुष्पेन्द्र "पुष्प" 

बुधवार, 9 मई 2012

याद आते है भूल जाते है .....!


याद आते है भूल जाते है |
लोग अक्सर ही बदल जाते है ||

जुबां पर  है बात दिल की |
कहने में होठ जले जाते है ||

वही होता है मुकद्दर का धनी |
प्यार अपनों का जो पा जाते है ||

लोग छूते है बुलंदी का चरम |
वक़्त के रहते संभल जाते है ||

जो करते है इंतजार कल का |
आज के लम्हे गुजर जाते है ||

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