सिलसिला इश्क यूँ ही चलने दो |
लोग जलते है जलें जलने दो ||
लोग जलते है जलें जलने दो ||
लूट कर ले गए वो ख्वाब सभी |
बातों बातों में रात ढलने दो ||
बातों बातों में रात ढलने दो ||
फिर संभल जाएगी हर बहर अपनी |
उनके होठों की गजल बनने दो ||
उनके होठों की गजल बनने दो ||
दिल का मिलना तो दूजी बात है |
पहले हाथों से हाथ मिलने दो ||
(और यह शेर मैने अपने बड़े भइया परम आदर्णीय "पवन जी" के लिए लिखा है )
बस यही इल्तजा रही उनसे |
अपने पैरों की धूल बनने दो ||
अपने पैरों की धूल बनने दो ||