दिलों के जख्म यूँ गहरे हुए है |
वक्त-ए-मरहम भी ठहरे हुए है ||
अपनी तो गर्दिशों में उम्र गुजरी |
अमन के अलम अब फहरे हुए है ||
हुश्न की बिसात यूँ फैली हुई है |
कि अब कफ़न भी सेहरे हुए है ||
गुरवतें आँखों ने देखीं बहुत पर
यहाँ तो ज़र्द सब चेहरे हुए है |
बरस जायेंगे वो चलचित्र बनकर |
ख़्वाब आँखों में जो ठहरे हुए है ||
अभी तक दिल्लगी समझा जिसे था |
दाग दामन के अब गहरे हुए है ||
21 टिप्पणियां:
अभी तक दिल्लगी समझा जिसे था |
दाग दामन के अब गहरे हुए है ||
Bahut,bahut sundar!
हुश्न की बिसात यूँ फैली हुई है
कि अब कफ़न भी सेहरे हुए है
ये तो इश्क की इंतेहा है .. कफ़न भी सेहरे लगते हैं ...
बरस जायेंगे वो चलचित्र बनकर
ख़्वाब आँखों में जो ठहरे हुए है ..
उन ख्वाबों को बह ही जाना चाहिए तो ठहरे हुवे हैं ....
बहुत ही बेमिसाल भाव हैं सब शेरों में ... कमाल की अभिव्यक्ति है ...
bhai kin shabdon mein tareef karoon apne bade bhai ki...
bahut he uttam rachna ek baar phir...
गुरवतें आँखों ने देखीं बहुत पर
यहाँ तो ज़र्द सब चेहरे हुए है |
wah wah....
bahut umda.
बहुत खूब ....
बेहतरीन। बधाई।
Psingh ji
esi behtarin gajal dil ki kis
likh di gahrai se likhte hai
apke shabd kaleje ko bhed dete hai
har sher par ruk kar suchna padta hai
अभी तक दिल्लगी समझा जिसे था |
दाग दामन के अब गहरे हुए है ||
vakai mazak ki baten kabhi kabhi daman ka dag bhi ban jati hai
behtarin'''''''''''
बेहतरीन ग़ज़ल...मुबारकवाद.
दिलों के जख्म यूँ गहरे हुए है |
वक्त-ए-मरहम भी ठहरे हुए है ||
behtarin sher
तकनीकी बाधाओं ने मजबूर कर दिया वर्ना मैं इस रचना पर पहला कमेन्ट करना चाहता था..............अच्छे अलफ़ाज़ और एहसासात में पगी मनभावनी रचना......खासकर यह लाजवाब है.
बरस जायेंगे वो चलचित्र बनकर |
ख़्वाब आँखों में जो ठहरे हुए है ||
बहुत खूबसूरत भावों से सजी सुन्दर ग़ज़ल
अपनी तो गर्दिशों में उम्र गुजरी |
अमन के अलम अब फहरे हुए है ||
बेहद सुन्दर अशआर लिखे है..सिंह साहब और नसवा साहब की तारीफ हमारी भी मानी जावे!
अपनी तो गर्दिशों में उम्र गुजरी |
अमन के अलम अब फहरे हुए है
bahut sundar ,holi ki mubarakbaad aapko
गुरवतें आँखों ने देखीं बहुत पर
यहाँ तो ज़र्द सब चेहरे हुए है |
Bahut khub.
आपको और आपके परिवार को होली की हार्दिक बधाईयाँ एवं शुभकामनायें !
गुरवतें आँखों ने देखीं बहुत पर
यहाँ तो ज़र्द सब चेहरे हुए है |
अपनी तो गर्दिशों में उम्र गुजरी |
अमन के अलम अब फहरे हुए है
हर शेर उस्तादाना है। लाजवाब गज़ल बधाई
shukria,
aapki kuch gazalein padin,jazbaat acche hain.
ultimate poem.............grammer is nowhere but wordings is really recomendable....keep it up
बहुत खूब भाई....
हर शेर एक से बढ़कर एक, बधाई ।
danyavaad singh sahab aap ne mera naya blog pada aap kee gajal achhi hai
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