बातों बातों में बात बिगड़ जाती है |
शर्मिंदगी आखों से झलक जाती है ||
असलियत उनकी भी मुझे मालूम है |
गर कहता हूँ तो जुबान जल जाती है ||
साथ सूरज के कल सुकूँ उदय होगा |
इसी उम्मीद में रात गुजर जाती है ||
तुम खुद को यूँ गौर से देखा न करो |
नजर आइने की भी लग जाती है ||
तेरे बगैर भी हमने जी कर देखा है |
चंद लम्हों में जिंदगी सिमट जाती है ||
22 टिप्पणियां:
तुम खुद को यूँ गौर से देखा न करो |
नजर आइने की भी लग जाती है
क्या आशिकाना अंदाज़ है ........ बहुत खूब .......
तेरे बगैर भी हमने जी कर देखा है
चंद लम्हों में जिंदगी सिमट जाती है ...
ये बहुत सच और गहरा कहा है ........... उनके बगेर जीना भी कोन चाहता है ............
wah wah wah...
kya baat keh di aapne mere maalik...
nazar aaeene ki bhi lag jaati hai...
wah wah...
abhi main bhai apni ek nayi post karne wala hoon next 15 mins mein...
साथ सूरज के कल सुकूँ उदय होगा |
इसी उम्मीद में रात गुजर जाती है ||
bahut umda. badhaai.
यहाँ खटक रहा है --- साथ सूरज के कल सुकूँ उदय होगा |
आज भी आपके यहाँ लय सधती कम दिखती है ..
यहाँ की तारीफ में क्या कहूँ ! वल्लाह ! ---
''तुम खुद को यूँ गौर से देखा न करो |
नजर आइने की भी लग जाती है || ''
बेहद खुबसूरत रचना
बहुत बहुत आभार ग़ज़ल
मुहब्बत के अहसासों को बडी खूबसूरती से बयां किया है ।
एकदम शिधाई से दिल की बात कहने में कितना आकर्षण है
बहुत सुन्दर रचना
ऐसा लग रहा है जैसे बस मासूमियत से अपनी बात कही गयी है
तेरे बगैर भी हमने जी कर देखा है |
चंद लम्हों में जिंदगी सिमट जाती है ||
bahut khoob ,man ko chhoo gayi .
साथ सूरज के कल सुकूँ उदय होगा |
इसी उम्मीद में रात गुजर जाती है ||
बहुत ही सुन्दर. यही उम्मीद तो ज़िन्दा रखे है हमें.
पिंटू
बातों बातों में बात बिगड़ जाती है |
शर्मिंदगी आखों से झलक जाती है ||
बहुत सुन्दर............
साथ सूरज के कल सुकूँ उदय होगा |
इसी उम्मीद में रात गुजर जाती है ||
बहुत खूब
क्या शब्दों की माया रची है......
तेरे बगैर भी हमने जी कर देखा है |
चंद लम्हों में जिंदगी सिमट जाती है ||
वाह वाह
तेरे बगैर भी हमने जी कर देखा है |
चंद लम्हों में जिंदगी सिमट जाती है ||
Tippani ke liye alfaz nahi! Nishabd kar diya aapne!
साथ सूरज के कल सुकूँ उदय होगा |
इसी उम्मीद में रात गुजर जाती है ||
....बहुत सुन्दर, प्रसंशनीय !!
आप ने बहुत स्वादिष्ट, रुचिकर, सुपाच्य भोजन परोसा. अब नमक नहीं डाल सके तो इसकी शिकायत करना एहसान फरामोशी होगी.
आपका मेरे ब्लॉग पर आना, थोडा पढना, कमेन्ट देना, मुझे सुख देता है.
अब मैं टोकने वाला काम बंद कर रहा हूँ.
सिंह साहब
इस शेर को पढकर मुंह से वाह वाह ......
ही निकल रहा है ..........................
तेरे बगैर भी हमने जी कर देखा है |
चंद लम्हों में जिंदगी सिमट जाती है ||
धन्यवाद
पी.सिंह जी
आपकी रचनाओं में सत्य का पुट है और संजीदगी है|
बातों बातों में बात बिगड़ जाती है |
शर्मिंदगी आखों से झलक जाती है ||
ये सच है अगर बातें ज्यादा हो जाएँ तो फिर माहोल
बिगड़ना शुरू हो जाता है | और
शर्मिंदा व्यक्ति की आंखे झुकी रहती है ........
धन्यवाद
बातों बातों में बात बिगड़ जाती है |
शर्मिंदगी आखों से झलक जाती है ||
बहुत ही सुन्दर शब्द रचना ।
तुम खुद को यूँ गौर से देखा न करो |
नजर आइने की भी लग जाती है ||
आशिकाना मिजाज की आशिकाना लाइन हैं.. मज़ा आ गया..
वाह वाह क्या बात है! बहुत ख़ूबसूरत पंक्तियाँ! इस लाजवाब रचना के लिए बधाई!
असलियत उनकी भी मुझे मालूम है |
गर कहता हूँ तो जुबान जल जाती है ||
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तेरे बगैर भी हमने जी कर देखा है |
चंद लम्हों में जिंदगी सिमट जाती है || ........बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति। आभार!
wah wah bahut khub
असलियत उनकी भी मुझे मालूम है |
गर कहता हूँ तो जुबान जल जाती है ||
badhaiyan...................................................................
chand lamhon me zindgi simat jaati hai.
this line only for me
nice, very nice
क्या आशिकाना अंदाज़ है ........ बहुत खूब .......
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