मंगलवार, 27 अप्रैल 2010

कहते कहते....................

कहते कहते बात अपनी कह गए |

हम अकेले थे अकेले रह गये ||


चुपके चुपके आइनों की बात सुन |

सिसकियाँ लेते वो आंसू बह गए ||


यादों की बारात अपने साथ थी |

भीड़ में होकर भी तन्हा रह गये ||


टूटते है कैसे लोग दुनियां में |

ठोकरें खाते किनारे कह गए ||


दिल से दिल मिलना तो गुजरी बात है |

हाथ हाथों से मिलाते रह गए ||

मंगलवार, 20 अप्रैल 2010

जिंदगी यूँ ही........................................

जिंदगी यूँ ही जिए जा रहा हूँ |
आंसू वफ़ा के पिए जरा हूँ ||

हिस्से में अपने राहें पड़ी है |
मंजिल ए जुस्तजू लिए जा रहा हूँ ||

पहचान अपनी खो ही गयी है |
चहरे बदलकर जिए जा रहा हूँ ||

वो टुटा हुआ जाम उठा दे ए साकी |
होश की बातें किए जा रहा हूँ ||

करती शरारत कमबख्त ऑंखें |
इल्जाम दिल को दिए जा रहा हूँ ||

शुक्रवार, 2 अप्रैल 2010

राहों से कह दो...........................

कहीं जमीं तो कहीं आसमां देखा है |

किसी भी उम्र में दिल जवां देखा है ||


खींचो खून से सरहद की लकीरें |

दोनों तरफ अमन का कारवां देखा है ||


दिल को दुखा के सुकूँ नहीं मिलता |

छलकती आँखों को पशेमां देखा है ||


कैसा रिश्तों के टूटने का दौर आया है

बेचैन हर घर का बागबां देखा है ||


राहों से कह दो दरारें भरा करें |

खुदा को किस्मत पर महरवा देखा है ||

खोजें