शुक्रवार, 21 मई 2010

वक़्त की चाल कुछ बदली हुई है..................

वक़्त की चाल कुछ बदली हुई है |

हर तरफ वर्फ सी पिघली हुई है ||


वो क्या हसीं मंजर है सोचो |

अँधेरी रात में चाँदनी पिघली हुई है ||


जरा तू बंद करके देख आँखें |

वही तस्वीर, पर धुंधली हुई है ||


भले ही इश्क से तौबा करली |

तमन्ना आज भी मचली हुई है ||


तुम को पा कर ये जाना |
मेरी किस्मत तो संभली हुई है ||

गुरुवार, 13 मई 2010

रात कटती नहीं...........................

रात कटती नहीं सितारों से

हमें उल्फत रही बहारों से


कभी सीने पे जख्म खाते थे

अब डरता हूँ इन शरारों से


तेरा वजूद तो कुछ भी नहीं

तेरी पहचान है बिचारों से


यही पढता रहा किताबों में

सच भारी है झूठ हजारों से


कभी खुल के जुबां से बोल जरा

बात बनती नहीं इशारों से




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