दिलों के जख्म यूँ गहरे हुए है |
वक्त-ए-मरहम भी ठहरे हुए है ||
अपनी तो गर्दिशों में उम्र गुजरी |
अमन के अलम अब फहरे हुए है ||
हुश्न की बिसात यूँ फैली हुई है |
कि अब कफ़न भी सेहरे हुए है ||
गुरवतें आँखों ने देखीं बहुत पर
यहाँ तो ज़र्द सब चेहरे हुए है |
बरस जायेंगे वो चलचित्र बनकर |
ख़्वाब आँखों में जो ठहरे हुए है ||
अभी तक दिल्लगी समझा जिसे था |
दाग दामन के अब गहरे हुए है ||
मंगलवार, 23 फ़रवरी 2010
शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010
बहुत अनजान है राहें..................
बहुत अनजान है राहें मगर चलना जरुरी है |
इश्क में बंदिशे लाखों मगर मिलना जरुरी है ||
बड़े बे पीर है चाहत के किस्से और क्या कह दें |
प्यार का नाम जो भी हो मगर करना जरुरी है ||
रिश्तों का टूटना जुड़ना है वक्त के हाथों |
प्यार के लेप से दरारें मगर भरना जरुरी है ||
बात कहने से दिल को सुकूँ मिलता है लेकिन |
बात को कहने से पहले मगर सुनना जरुरी है ||
लाखों मिट गए चाहत के इस गुमनाम दरिया में |
वक्त के साथ इंसां को संभल जाना जरुरी है ||
"पुष्पेन्द्र"अकेला ही दुनियां बदल सकता है लेकिन |
काफिला साथ में यारो मगर होना जरुरी है ||
इश्क में बंदिशे लाखों मगर मिलना जरुरी है ||
बड़े बे पीर है चाहत के किस्से और क्या कह दें |
प्यार का नाम जो भी हो मगर करना जरुरी है ||
रिश्तों का टूटना जुड़ना है वक्त के हाथों |
प्यार के लेप से दरारें मगर भरना जरुरी है ||
बात कहने से दिल को सुकूँ मिलता है लेकिन |
बात को कहने से पहले मगर सुनना जरुरी है ||
लाखों मिट गए चाहत के इस गुमनाम दरिया में |
वक्त के साथ इंसां को संभल जाना जरुरी है ||
"पुष्पेन्द्र"अकेला ही दुनियां बदल सकता है लेकिन |
काफिला साथ में यारो मगर होना जरुरी है ||
मंगलवार, 9 फ़रवरी 2010
सरे राह
सरे राह चले हमको मिटाने वाले |
बड़े बेदर्द है तीर ज़माने वाले ||
यह जमाना है वक्त का कायल |
कहाँ मिलते है साथ निभाने वाले ||
हजारों उलझनों के बोझ तले |
मिट गए हंसने हंसाने वाले ||
सिलवटें चहरे पर ऑंखें भी नम है |
क्या है इरादा दिल को दुखाने वाले ||
हम तो सच-झूठ में उलझे रहे |
मंजिलें पा गए बात बनाने वाले |
बड़े बेदर्द है तीर ज़माने वाले ||
यह जमाना है वक्त का कायल |
कहाँ मिलते है साथ निभाने वाले ||
हजारों उलझनों के बोझ तले |
मिट गए हंसने हंसाने वाले ||
सिलवटें चहरे पर ऑंखें भी नम है |
क्या है इरादा दिल को दुखाने वाले ||
हम तो सच-झूठ में उलझे रहे |
मंजिलें पा गए बात बनाने वाले |
शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2010
बातों बातों में............
बातों बातों में बात बिगड़ जाती है |
शर्मिंदगी आखों से झलक जाती है ||
असलियत उनकी भी मुझे मालूम है |
गर कहता हूँ तो जुबान जल जाती है ||
साथ सूरज के कल सुकूँ उदय होगा |
इसी उम्मीद में रात गुजर जाती है ||
तुम खुद को यूँ गौर से देखा न करो |
नजर आइने की भी लग जाती है ||
तेरे बगैर भी हमने जी कर देखा है |
चंद लम्हों में जिंदगी सिमट जाती है ||
शर्मिंदगी आखों से झलक जाती है ||
असलियत उनकी भी मुझे मालूम है |
गर कहता हूँ तो जुबान जल जाती है ||
साथ सूरज के कल सुकूँ उदय होगा |
इसी उम्मीद में रात गुजर जाती है ||
तुम खुद को यूँ गौर से देखा न करो |
नजर आइने की भी लग जाती है ||
तेरे बगैर भी हमने जी कर देखा है |
चंद लम्हों में जिंदगी सिमट जाती है ||
मंगलवार, 2 फ़रवरी 2010
अपने दुश्मन को सीने से लगा ........
तेरी खुशबू को सांसों में बसा लेते है |
याद आती है तो सीने में दबा लेते है ||
वक़्त ए तन्हाई में खो न जाएँ कहीं |
तेरी यादों को रातों में जगा लेते है ||
कौन किसका इस तरह एतबार करे |
लोग हर मोड़ पर अपनों को दगा देते है ||
वो जो नदिया है बलखाती इठलाती हुई |
हम अपने दिल को समंदर बना लेते है ||
मुहब्बत से सीखा है दोस्ती का सबब |
अपने दुश्मन को सीने से लगा लेते है ||
खुदाया ऐसे शख्स का अहतराम करे |
किसी के वास्ते जो खुद को मिटा लेते है |
याद आती है तो सीने में दबा लेते है ||
वक़्त ए तन्हाई में खो न जाएँ कहीं |
तेरी यादों को रातों में जगा लेते है ||
कौन किसका इस तरह एतबार करे |
लोग हर मोड़ पर अपनों को दगा देते है ||
वो जो नदिया है बलखाती इठलाती हुई |
हम अपने दिल को समंदर बना लेते है ||
मुहब्बत से सीखा है दोस्ती का सबब |
अपने दुश्मन को सीने से लगा लेते है ||
खुदाया ऐसे शख्स का अहतराम करे |
किसी के वास्ते जो खुद को मिटा लेते है |
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