शनिवार, 6 अगस्त 2011

दरवाजे दिल के.....

आइने खुद को दगा देते है |
हकीकत चहरो की बता देते है ||

जरा सा प्यार से पूछा किसी ने |
रास्ता अपने घर का बता देते है ||

जुल्म जब हद से गुजर जाता है |
अपने भी हाथ उठा देते है ||

शर्द मौसम में शाम ढलते ही |
दरवाजे दिल के लगा देते है ||

घर से निकले थे इबादत के लिए |
किसी रोते को हंसा देते है ||

चलो कुछ हट के कोई बात करें |
आग दुनियां को लगा देते है ||

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