आइने खुद को दगा देते है |
हकीकत चहरो की बता देते है ||
जरा सा प्यार से पूछा किसी ने |
रास्ता अपने घर का बता देते है ||
जुल्म जब हद से गुजर जाता है |
अपने भी हाथ उठा देते है ||
शर्द मौसम में शाम ढलते ही |
दरवाजे दिल के लगा देते है ||
घर से निकले थे इबादत के लिए |
किसी रोते को हंसा देते है ||
चलो कुछ हट के कोई बात करें |
आग दुनियां को लगा देते है ||