हाथों में फूल जेब में खंजर लिए मिले !
जब भी मेरे दोस्त मुझसे गले मिले !!
अपने आप को दुनियां से छुपाता कैसे !
वक्त के दो हाथ आइना लिए मिले !!
पिछड़ने का डर बचपन पर हावी हुआ !
उम्र से पहले बड़प्पन लिए मिले !!
तोड़ कर बंदिश जो घर की आए थे !
आजतक वो आँख में आंशू लिए मिले !!
रिश्तों की बुनियाद ही सच्चाई अगर हो !
आंधियों में हर चराग जलता हुआ मिले !!
हर वक्त ये दुआ मांगी खुदा से थी !
जब भी कोई मिले हँसता हुआ मिले !!
किसे है वक्त पूछे हाल-ए-दिल किसका !
अपने अपने बारे में सब सोचते मिले !!
23 टिप्पणियां:
हर वक्त ये दुआ मांगी खुदा से थी !
जब भी कोई मिले हँसता हुआ मिले !!
शानदार
सिंह साहब
बहुत ही बढ़िया गजल है
पिछड़ने का डर बचपन पर हावी हुआ !
उम्र से पहले बड़प्पन लिए मिले !!
उम्दा शेर
बधाई कुबूल करें..........................
बहुत सुन्दर गजल का खुबसूरत अशार
रिश्तों की बुनियाद ही सच्चाई अगर हो !
आंधियों में हर चराग जलता हुआ मिले !!
आभार ..............................
अब इस ग़ज़ल को पढ़कर मुंह से बरवस ही निकलता है !
वाह वाह ........................
आभार ..............
अपने आप को दुनियां से छुपाता कैसे !
वक्त के दो हाथ आइना लिए मिले !!
very good. great..
"किसे है वक्त पूछे हाल-ए-दिल किसका !
अपने अपने बारे में सब सोचते मिले !!"
पी सिंह जी, बहुत सच कहा है आप ने.. अति सुन्दर रचना
आशु
very nice....
कौन छुप पायेगा ---
'' अपने आप को दुनियां से छुपाता कैसे !
वक्त के दो हाथ आइना लिए मिले !!''
............आभार ,,,
bahut hi gahri bhavnayein samayi hain.
पिछड़ने का डर बचपन पर हावी हुआ
उम्र से पहले बड़प्पन लिए मिले
तोड़ कर बंदिश जो घर की आए थे
आजतक वो आँख में आंशू लिए मिले ...
ग़ज़ब के शेर कहें हैं ........... हक़ीकत के करीब, सत्य बयान करते हुवे .......... मज़ा आ गया ........
Dear Pushpendra
No doubt u r reforming u and ur Ghazals......without having any dilemma i can say about u onething this blog writing gave u an U-Turn in ur personality......
Ghazal is as usual....Beautiful
हाथों में फूल जेब में खंजर लिए मिले !
जब भी मेरे दोस्त मुझसे गले मिले !!
beautiful lines.......my blessings with u.
hantho me phool jeb me khanjar liye meile
jab bhee mere dost mujhse gale mile
good yaar
bahut khoob likha hai
sukriya kabool kare
आपको और आपके परिवार को नए साल की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत बढ़िया रचना लिखा है आपने!
हाथों में फूल जेब में खंजर लिए मिले !
जब भी मेरे दोस्त मुझसे गले मिले !!..
वाह,उम्दा.
किसे है वक्त पूछे हाल-ए-दिल किसका !
अपने अपने बारे में सब सोचते मिले !!
BAHUT UMDA. BADHAAI.
nice...!!
welcome...!!
Behatrin rachna...umda abhivyaktiyan !!
रिश्तों की बुनियाद ही सच्चाई अगर हो !
आंधियों में हर चराग जलता हुआ मिले !!
हर वक्त ये दुआ मांगी खुदा से थी !
जब भी कोई मिले हँसता हुआ मिले !
बहुत सुन्दर गज़ल है बधाई और शुभकामनायें
bahut khoob!!
http://som-ras.blogspot.com
पी.सिंह जी
खुबसूरत रचना
तोड़ कर बंदिश जो घर की आए थे !
आजतक वो आँख में आंशू लिए मिले !!
बधाई...........
बहुत बढिया भाई .. आपकी यह गजल और उसमे पिरोया हुआ भाव संसार बहुत सुन्दर .. कहीं कहीं शब्द चयन में लापरवाही
जैसे बंदिश के स्थान पर बंधन .. आंशू कोई शब्द नहीं होता आपने आंसू लिखना था.. की के स्थान पर के होना चाहिए था .. ऐसी ही छोटी मोटी तराश जरूरी होती है ..लेकिन कुल मिलकर सुन्दर और दिल को छूने वाली शायरी ..बधायी
बहुत सुन्दर गज़ल है
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