शुक्रवार, 8 जनवरी 2010

हाथों में फूल जेब में खंजर लिए मिले ......

हाथों में फूल जेब में खंजर लिए मिले !
जब भी मेरे दोस्त मुझसे गले मिले !!

अपने आप को दुनियां से छुपाता कैसे !
वक्त के दो हाथ आइना लिए मिले !!


पिछड़ने का डर बचपन पर हावी हुआ !
उम्र से पहले बड़प्पन लिए मिले !!

तोड़ कर बंदिश जो घर की आए थे !
आजतक वो आँख में आंशू लिए मिले !!


रिश्तों की बुनियाद ही सच्चाई अगर हो !
आंधियों में हर चराग जलता हुआ मिले !!


हर वक्त ये दुआ मांगी खुदा से थी !
जब भी कोई मिले हँसता हुआ मिले !!

किसे है वक्त पूछे हाल-ए-दिल किसका !
अपने अपने बारे में सब सोचते मिले !!

23 टिप्‍पणियां:

VOICE OF MAINPURI ने कहा…

हर वक्त ये दुआ मांगी खुदा से थी !
जब भी कोई मिले हँसता हुआ मिले !!
शानदार

my blog ने कहा…

सिंह साहब
बहुत ही बढ़िया गजल है
पिछड़ने का डर बचपन पर हावी हुआ !
उम्र से पहले बड़प्पन लिए मिले !!
उम्दा शेर
बधाई कुबूल करें..........................

Unknown ने कहा…

बहुत सुन्दर गजल का खुबसूरत अशार

रिश्तों की बुनियाद ही सच्चाई अगर हो !
आंधियों में हर चराग जलता हुआ मिले !!
आभार ..............................

Unknown ने कहा…

अब इस ग़ज़ल को पढ़कर मुंह से बरवस ही निकलता है !
वाह वाह ........................
आभार ..............

Unknown ने कहा…

अपने आप को दुनियां से छुपाता कैसे !
वक्त के दो हाथ आइना लिए मिले !!

very good. great..

अजय कुमार ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
आशु ने कहा…

"किसे है वक्त पूछे हाल-ए-दिल किसका !
अपने अपने बारे में सब सोचते मिले !!"

पी सिंह जी, बहुत सच कहा है आप ने.. अति सुन्दर रचना

आशु

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

very nice....

Amrendra Nath Tripathi ने कहा…

कौन छुप पायेगा ---
'' अपने आप को दुनियां से छुपाता कैसे !
वक्त के दो हाथ आइना लिए मिले !!''
............आभार ,,,

vandana gupta ने कहा…

bahut hi gahri bhavnayein samayi hain.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

पिछड़ने का डर बचपन पर हावी हुआ
उम्र से पहले बड़प्पन लिए मिले

तोड़ कर बंदिश जो घर की आए थे
आजतक वो आँख में आंशू लिए मिले ...

ग़ज़ब के शेर कहें हैं ........... हक़ीकत के करीब, सत्य बयान करते हुवे .......... मज़ा आ गया ........

Pawan Kumar ने कहा…

Dear Pushpendra
No doubt u r reforming u and ur Ghazals......without having any dilemma i can say about u onething this blog writing gave u an U-Turn in ur personality......
Ghazal is as usual....Beautiful
हाथों में फूल जेब में खंजर लिए मिले !
जब भी मेरे दोस्त मुझसे गले मिले !!

beautiful lines.......my blessings with u.

Unknown ने कहा…

hantho me phool jeb me khanjar liye meile
jab bhee mere dost mujhse gale mile
good yaar


bahut khoob likha hai
sukriya kabool kare

Urmi ने कहा…

आपको और आपके परिवार को नए साल की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत बढ़िया रचना लिखा है आपने!

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

हाथों में फूल जेब में खंजर लिए मिले !
जब भी मेरे दोस्त मुझसे गले मिले !!..
वाह,उम्दा.

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

किसे है वक्त पूछे हाल-ए-दिल किसका !
अपने अपने बारे में सब सोचते मिले !!


BAHUT UMDA. BADHAAI.

मेरी आवाज सुनो ने कहा…

nice...!!
welcome...!!

Akanksha Yadav ने कहा…

Behatrin rachna...umda abhivyaktiyan !!

निर्मला कपिला ने कहा…

रिश्तों की बुनियाद ही सच्चाई अगर हो !
आंधियों में हर चराग जलता हुआ मिले !!


हर वक्त ये दुआ मांगी खुदा से थी !
जब भी कोई मिले हँसता हुआ मिले !
बहुत सुन्दर गज़ल है बधाई और शुभकामनायें

somadri ने कहा…

bahut khoob!!

http://som-ras.blogspot.com

Unknown ने कहा…

पी.सिंह जी
खुबसूरत रचना
तोड़ कर बंदिश जो घर की आए थे !
आजतक वो आँख में आंशू लिए मिले !!
बधाई...........

श्याम जुनेजा ने कहा…

बहुत बढिया भाई .. आपकी यह गजल और उसमे पिरोया हुआ भाव संसार बहुत सुन्दर .. कहीं कहीं शब्द चयन में लापरवाही
जैसे बंदिश के स्थान पर बंधन .. आंशू कोई शब्द नहीं होता आपने आंसू लिखना था.. की के स्थान पर के होना चाहिए था .. ऐसी ही छोटी मोटी तराश जरूरी होती है ..लेकिन कुल मिलकर सुन्दर और दिल को छूने वाली शायरी ..बधायी

हर्षिता ने कहा…

बहुत सुन्दर गज़ल है

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