आप सभी ब्लागर को नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं .............
ये वर्ष आप सभी के जीवन में नई ऊंचाइयां स्थापित करे इन्ही शुभकामनाओं के साथ नव वर्ष की नयी गज़ल
उम्मीद है आप सभी को पसंद आयेगी - " पुष्पेन्द्र सिंह "
बचपन से जो ख्वाब संजोया वो पूरा कब होगा !
अपने अपने घर में सब का रैन बसेरा कब होगा !!
खेतों में लहलहाती फसलें आँखों में हो उम्मीदें !
हर बच्चे के हाथ किताबें ऐसा मंजर कब होगा !!
रात और दिन बस एक ही मसला रोटी का !
कोई न भूखा सोने पाए ऐसा शुभ दिन कब होगा !!
नारी को भी पुरुषों सा समता का अधिकार मिले !
सब का दर्द अपना सा लगे ऐसा आलम कब होगा !!
घर -घर में है शीत युद्ध और मतभेदों की दीवारें !
चहुँदिश से बस प्यार ही बरसे ऐसा मौसम कब होगा !!
36 टिप्पणियां:
खेतों में लहलहाती फसलें आँखों में हो उम्मीदें !
हर बच्चे के हाथ किताबें ऐसा मंजर कब होगा !
बहुत ही लाजवाब लिखा है ........ बहुत पसंद आया ये शेर .........
नव वर्ष बहुत बहुत मंगलमय हो ........
नव वर्ष की प्रभात रश्मियाँ, बीते कल के तम को लीलें,
सदिच्छाओं के सुयोग , से सबका जीवन सुखमय हो,
नव वर्ष मंगलमय हो !
Mr. Singh,
thanks for visiting my blog and giving ur valuable comments.....
above creation is wonderful....fresh feeling of course...
have a good day!
aata rahunga aapke blog per...follower bann gaya hoon...
sunder rachna. badhaai.
नव वर्ष २०१० की हार्दिक मंगलकामनाएं. ईश्वर २०१० में आपको और आपके परिवार को सुख समृद्धि , धन वैभव ,शांति, भक्ति, और ढेर सारी खुशियाँ प्रदान करें . योगेश वर्मा "स्वप्न"
खेतों में लहलहाती फसलें आँखों में हो उम्मीदें !
हर बच्चे के हाथ किताबें ऐसा मंजर कब होगा !!
बेहतरीन लाइन... हमारी दुआ है, कि नए साल में हर बच्चे के हाथ में किताबे हों.. नए साल की ढेर सारी शुभकामनाएं...
मेरे ब्लॉग पर आने के लिए शुक्रिया..
आपको भी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये.
सुख आये जन के जीवन मे यत्न विधायक हो
सब के हित मे बन्धु! वर्ष यह मंगलदयक हो.
(अजीत जोगी की कविता के अंश)
mubarak ho aapko bhee naye versh ki badhai,
aapki is gazal ne hamare sapno ki yaad to dilai.
sukriya kabool kare
प्रिय पुष्पेन्द्र जी पहली बार आपकी गज़ल पढ़ी बेशक इतनी कसी हुई नहीं लेकिन जिस सोच को प्रतिध्वनित करती है वह समसमयिक है
घर घर में है शीत युद्ध और मतभेदों की दीवारे के साथ अपने अपने घर में रैन बसेरे होने की कामना विरोधाभासी है
आज की समस्या ही अपने अपने घर परिवार की है और जरा गहरे में उतरेंगे तो पाएंगे मूल रूप से घर परिवार ही हर प्रकार के सामाजिक रजनैतिक आर्थिक और धार्मिक उत्पीडन का जन्मस्थल बन चूका है अब तो एक नए विकल्प के बारे में सोचना होगा जहा किसी के पास कोई घर परिवार न हो अपितु आयु वर्ग पर आधारित स्त्री पुरुषों के आत्मनिर्भर संघ हों जहाँ किसी का कुछ भी अपना न हो सब कुछ सबका हो ताकि अहंकारमुक्त , लोभ मुक्त . स्पर्धा मुक्त मोहमुक्त दुःख मुक्त जीवन जिए जाने की सम्भावना उजागर हो सके
एक कवि यदि चाहे तो बहुत कुछ कर सकता है आज इस तकनीक के युग में तो संभावनाओं के अनंतानत द्वार खुल गए हैं
आपकी टिपण्णी के लिए बहुत धन्यवाद
पुनश्च : अगली बार यदि मेरे किसी ब्लॉग पर आने का समय मिले तो इसी सन्दर्भ में प्रश्न लेकर आईएगा .. एक कवि मूलत प्रश्न ही होता है .. प्रश्न ही प्रश्नों के इस जंगल का उत्तर दे पायेंगे
आपको भी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये
regards
apko bhee nav varsha kee hardik subhkaamnayen. aagen bhee aapse rachnatamak lekhan kee umeed rahegee.
Dhanyawad.
बहुत सुन्दर ग़ज़ल।
आप को और आपके समस्त परिवार को नव वर्ष २०१० की हार्दिक शुभकामनायें।
घर -घर में है शीत युद्ध और मतभेदों की दीवारें !
चहुँदिश से बस प्यार ही बरसे ऐसा मौसम कब होगा !!
बहुत सुन्दर.....!!
रात और दिन बस एक ही मसला रोटी का !
कोई न भूखा सोने पाए ऐसा शुभ दिन कब
काश आपके सवालों के जवाब इतने ही आसान होते.
नववर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ!
sunder rachna.
badhai.
खेतों में लहलहाती फसलें आँखों में हो उम्मीदें !
हर बच्चे के हाथ किताबें ऐसा मंजर कब होगा !!
लाजबाव ......
आपको भी नववर्ष के हार्दिक शुभकामनायें
aapko bhi bahut bahut mubarak ho nav warsh
ati sundar lehni
खेतों में लहलहाती फसलें आँखों में हो उम्मीदें !
हर बच्चे के हाथ किताबें ऐसा मंजर कब होगा !
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति, नववर्ष की शुभकामनायें ।
जब गजल में व्यक्त चिंता सामूहिक रूप ले लेगी तभी उस चिंता का समाधान हो पायेगा.
नए साल पर ढेरों मुबारकबाद.
गजल आपने अच्छी नहीं बहुत अच्छी कही है. लेकिन गजल की शास्त्रीयता और टेक्निक की तरफ आप ध्यान नहीं दे रहे हैं. अपने इर्द-गिर्द किसी समर्थ रचनाकार, बल्कि गजलकार से इस मामले में मदद लें. हम माँ के पेट से सब कुछ सीखकर नहीं आते, यहीं सारा कुछ सीखना होता है. सीखने में शर्म-संकोच नहीं करना चाहिए. मैं भी सीख रहा हूँ और जीवन की अंतिम सांस तक सीखता रहूँगा.
मुझे पता है मेरा कहना बुरा लग रहा होगा लेकिन मैं अपने स्वभाव से मजबूर हूँ, गलतियों पर टोकने की आदत हो गयी है.
सुंदर रचना ,मेरी ओर से आपको नववर्ष की शुभकामनाएं ।
नए वर्ष की आपको शुभकामनायें....
bahut hi acchi rachna...
पिंटू.........जीयो बेटा.... क्या कमाल का लिखा है.........सचमुच नए साल पर इससे बेहतर और क्या पढ़ा जा सकता था......! तुम्हारे जैसा भाई मिल जाये तो क्या कहने......!
नव वर्ष 2010 की हार्दिक शुभकामनायें.....!
ईश्वर से कामना है कि यह वर्ष आपके सुख और समृद्धि को और ऊँचाई प्रदान करे.
उत्तम विचार. नव वर्ष आपके जीवन मे हर्ष और उल्लास भर दे. नव वर्ष के शुभकामनाएं.
आपको भी नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएँ।
इस वर्ष तो शायद सबकुछ नहीं होगा किन्तु आशा है आने वाले दशकों में आपकी कविता में जो कामनाएँ की गईं हैं उनमें से कुछ तो कुछ हद तक पूरी हो जाएँगी।
घुघूती बासूती
सुन्दर अभिव्यक्ति.....
नव वर्ष की मंगल कामनाओं के साथ आपके लेखन को भी शुभ कामनाएं...
nav varsh ki haardik shubhkaamnaye ,poori rachna aapki bahut hi achchhi rahi
achhi gazal
छूयें बुलन्दी आपके सपने
हो ब्लोगर भी आपके अपने
सपने जब हो सच्चाई
कब ये सपने सच होंगे
sing ji ,
nav varsh ki aapako bhi hardik shubhkamnayen .
aapane meri rachna padhi or us vichar se sahamat dikhe uske liye shukriya .
very nice
happy new year
vvनव वर्ष मंगलमय हो और ऐंसें ही आपकी सुंदर रचनाएँ पढ़ते रहें ।
सिंह साहब
बहुत ही सुन्दर विचार हर शेर में एक नई बात
इस नव वर्ष पर आपने सभी ब्लोगर को बेहतरीन तोहफा दिया है
बहुत बहुत धन्यवाद ............................
बहुत खूब नये साल की बहुत बहुत शुभकामनायें गज़ल के लिये बधाई
सुन्दर रचना सुन्दर विचार
बहुत बहुत आभार ......
khubsurat sher
खेतों में लहलहाती फसलें आँखों में हो उम्मीदें !
हर बच्चे के हाथ किताबें ऐसा मंजर कब होगा !!
badhi kubool karen
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