शुक्रवार, 11 दिसंबर 2009

वर्गे-गुल से लव खिलने दे |
आँखों से ऑंखें मिलने दे ||
हो जाएँगी बातें भी दो |
पहले दिल से दिल मिलने दे ||
सहरा भी शर-शब्ज़ बनेगा |
आस का कोई गुल खिलने दे ||
ज़ख्म पुराना भर जायेगा |
यादों की आंधी थमने दे ||
श्याम रंग कैसे है बनता |
अश्कों से काज़ल मिलने दे ||

14 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल
कम शब्दों में बहुत गहरी बातें कहदी आप ने
श्याम रंग कैसे है बनता |
अश्कों से काज़ल मिलने दे ||
लाज़बाब ........................

my blog ने कहा…

बहुत उम्दा रचना
बड़ी ही सहजता से दिल की बात कह देते है हुजुर
आभार .................

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

श्याम रंग कैसे है बनता |
अश्कों से काज़ल मिलने
wah, behatareen.

Unknown ने कहा…

एक बढ़िया गजल
आभार

दिगम्बर नासवा ने कहा…

ज़ख्म पुराना भर जायेगा
यादों की आंधी थमने दे .......

उम्दा ग़ज़ल का खूबसूरत शेर ......... अछा लिखा है .......

Unknown ने कहा…

श्याम रंग कैसे है बनता |
अश्कों से काज़ल मिलने दे ||

अछा लिखा है .....

VOICE OF MAINPURI ने कहा…

kya khub likh rahe ho formet ko agr bhula diya jaye to behad khubsurat likha hai.aapko is naye rang main dekh mujhe inthaan khushi huyi.gud

अजय कुमार ने कहा…

उम्दा है , अच्छे भाव

कविता रावत ने कहा…

ज़ख्म पुराना भर जायेगा |
यादों की आंधी थमने दे ||
Dil se likhi gajal... bahut achhi lagi.
Badhai

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

हो जाएँगी बातें भी दो |
पहले दिल से दिल मिलने दे ||

बहुत सुंदर.... यहाँ अगर '' पहले दिल तो मिलने दे '' होता तो ज्यादा अच्छा लगता.......!!

सहरा भी शर-शब्ज़ बनेगा |
आस का कोई गुल खिलने दे ||

यहाँ भी 'कोई ' शब्द खटक रहा है .....!

ज़ख्म पुराना भर जायेगा |
यादों की आंधी थमने दे ||

वाह........!!

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

ज़ख्म पुराना भर जायेगा |
यादों की आंधी थमने दे ||
श्याम रंग कैसे है बनता |
अश्कों से काज़ल मिलने दे |
Bahut khuubsurat abhivyakti----

रश्मि प्रभा... ने कहा…

bahut hi badhiyaa

सदा ने कहा…

ज़ख्म पुराना भर जायेगा |
यादों की आंधी थमने दे ||
श्याम रंग कैसे है बनता |
अश्कों से काज़ल मिलने दे !

बहुत ही बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

Alpana Verma ने कहा…

सहरा भी शर-शब्ज़ बनेगा |
आस का कोई गुल खिलने दे ||
bahut khoob !
khubsurat gazal!

खोजें