वर्गे-गुल से लव खिलने दे |
आँखों से ऑंखें मिलने दे ||
हो जाएँगी बातें भी दो |
पहले दिल से दिल मिलने दे ||
सहरा भी शर-शब्ज़ बनेगा |
आस का कोई गुल खिलने दे ||
ज़ख्म पुराना भर जायेगा |
यादों की आंधी थमने दे ||
श्याम रंग कैसे है बनता |
अश्कों से काज़ल मिलने दे ||
14 टिप्पणियां:
बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल
कम शब्दों में बहुत गहरी बातें कहदी आप ने
श्याम रंग कैसे है बनता |
अश्कों से काज़ल मिलने दे ||
लाज़बाब ........................
बहुत उम्दा रचना
बड़ी ही सहजता से दिल की बात कह देते है हुजुर
आभार .................
श्याम रंग कैसे है बनता |
अश्कों से काज़ल मिलने
wah, behatareen.
एक बढ़िया गजल
आभार
ज़ख्म पुराना भर जायेगा
यादों की आंधी थमने दे .......
उम्दा ग़ज़ल का खूबसूरत शेर ......... अछा लिखा है .......
श्याम रंग कैसे है बनता |
अश्कों से काज़ल मिलने दे ||
अछा लिखा है .....
kya khub likh rahe ho formet ko agr bhula diya jaye to behad khubsurat likha hai.aapko is naye rang main dekh mujhe inthaan khushi huyi.gud
उम्दा है , अच्छे भाव
ज़ख्म पुराना भर जायेगा |
यादों की आंधी थमने दे ||
Dil se likhi gajal... bahut achhi lagi.
Badhai
हो जाएँगी बातें भी दो |
पहले दिल से दिल मिलने दे ||
बहुत सुंदर.... यहाँ अगर '' पहले दिल तो मिलने दे '' होता तो ज्यादा अच्छा लगता.......!!
सहरा भी शर-शब्ज़ बनेगा |
आस का कोई गुल खिलने दे ||
यहाँ भी 'कोई ' शब्द खटक रहा है .....!
ज़ख्म पुराना भर जायेगा |
यादों की आंधी थमने दे ||
वाह........!!
ज़ख्म पुराना भर जायेगा |
यादों की आंधी थमने दे ||
श्याम रंग कैसे है बनता |
अश्कों से काज़ल मिलने दे |
Bahut khuubsurat abhivyakti----
bahut hi badhiyaa
ज़ख्म पुराना भर जायेगा |
यादों की आंधी थमने दे ||
श्याम रंग कैसे है बनता |
अश्कों से काज़ल मिलने दे !
बहुत ही बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
सहरा भी शर-शब्ज़ बनेगा |
आस का कोई गुल खिलने दे ||
bahut khoob !
khubsurat gazal!
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