मंगलवार, 23 फ़रवरी 2010

अमन के अलम......................!

दिलों के जख्म यूँ गहरे हुए है |
वक्त-ए-मरहम भी ठहरे हुए है ||

अपनी तो गर्दिशों में उम्र गुजरी |
अमन के अलम अब फहरे हुए है ||

हुश्न की बिसात यूँ फैली हुई है |
कि अब कफ़न भी सेहरे हुए है ||

गुरवतें आँखों ने देखीं बहुत पर
यहाँ तो ज़र्द सब चेहरे हुए है |

बरस जायेंगे वो चलचित्र बनकर |
ख़्वाब आँखों में जो ठहरे हुए है ||

अभी तक दिल्लगी समझा जिसे था |
दाग दामन के अब गहरे हुए है ||

शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010

बहुत अनजान है राहें..................

बहुत अनजान है राहें मगर चलना जरुरी है |
इश्क में बंदिशे लाखों मगर मिलना जरुरी है ||

बड़े बे पीर है चाहत के किस्से और क्या कह दें |
प्यार का नाम जो भी हो मगर करना जरुरी है ||

रिश्तों का टूटना जुड़ना है वक्त के हाथों |
प्यार के लेप से दरारें मगर भरना जरुरी है ||

बात कहने से दिल को सुकूँ मिलता है लेकिन |
बात को कहने से पहले मगर सुनना जरुरी है ||

लाखों मिट गए चाहत के इस गुमनाम दरिया में |
वक्त के साथ इंसां को संभल जाना जरुरी है ||

"पुष्पेन्द्र"अकेला ही दुनियां बदल सकता है लेकिन |
काफिला साथ में यारो मगर होना जरुरी है ||

मंगलवार, 9 फ़रवरी 2010

सरे राह

सरे राह चले हमको मिटाने वाले |
बड़े बेदर्द है तीर ज़माने वाले ||

यह जमाना है वक्त का कायल |
कहाँ मिलते है साथ निभाने वाले ||

हजारों उलझनों के बोझ तले |
मिट गए हंसने हंसाने वाले ||

सिलवटें चहरे पर ऑंखें भी नम है |
क्या है इरादा दिल को दुखाने वाले ||

हम तो सच-झूठ में उलझे रहे |
मंजिलें पा गए बात बनाने वाले |

शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2010

बातों बातों में............

बातों बातों में बात बिगड़ जाती है |
शर्मिंदगी आखों से झलक जाती है ||

असलियत उनकी भी मुझे मालूम है |
गर कहता हूँ तो जुबान जल जाती है ||

साथ सूरज के कल सुकूँ उदय होगा |
इसी उम्मीद में रात गुजर जाती है ||

तुम खुद को यूँ गौर से देखा न करो |
नजर आइने की भी लग जाती है ||

तेरे बगैर भी हमने जी कर देखा है |
चंद लम्हों में जिंदगी सिमट जाती है ||

मंगलवार, 2 फ़रवरी 2010

अपने दुश्मन को सीने से लगा ........

तेरी खुशबू को सांसों में बसा लेते है |
याद आती है तो सीने में दबा लेते है ||

वक़्त ए तन्हाई में खो न जाएँ कहीं |
तेरी यादों को रातों में जगा लेते है ||

कौन किसका इस तरह एतबार करे |
लोग हर मोड़ पर अपनों को दगा देते है ||

वो जो नदिया है बलखाती इठलाती हुई |
हम अपने दिल को समंदर बना लेते है ||

मुहब्बत से सीखा है दोस्ती का सबब |
अपने दुश्मन को सीने से लगा लेते है ||

खुदाया ऐसे शख्स का अहतराम करे |
किसी के वास्ते जो खुद को मिटा लेते है |

खोजें