कली बागों में खिल नहीं पाती |
गीत भंवरों का सुन नहीं पाती ||
सच अभी तक दिलों में जिंदा है |
जुबाँ कहने को खुल नहीं पाती ||
यही सजा है गाँव से बिछड़ने की |
नसीहत बुजुर्गों की मिल नहीं पाती ||
यही वजह है आपसी तकरार की |
बात बातों में मिल नहीं पाती ||
झूठ से दिल बहल जाता है लेकिन |
चालाकी देर तक चल नहीं पाती ||
18 टिप्पणियां:
सच अभी तक दिलों में जिंदा है |
जुबाँ कहने को खुल नहीं पाती ||
वाह बहुत सुन्दर शेर.कितना बडा सच कह दिया आपने. और-
यही सजा है गाँव से बिछड़ने की |
नसीहत बुजुर्गों की मिल नहीं पाती ||
बहुत सुन्दर. उनके लिये खासतौर से जो अपने बडों से दूर हैं, लेकिन बहुत सच्ची बात. बधाई.
यही सजा है गाँव से बिछड़ने की |
नसीहत बुजुर्गों की मिल नहीं पाती ||
bahut zaroori hai ye naseehat jisse aaj yuva varg door hai.
आपको और आपके परिवार को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें! बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने!
यही सजा है गाँव से बिछड़ने की |
नसीहत बुजुर्गों की मिल नहीं पाती ||
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
बहुत ख़ूबसूरत
... बहुत खूब ...प्रसंशनीय गजल !!!
waakai chaalaaki der tak chal nahi paati...
sahi kaha aapne...
सच अभी तक दिलों में जिंदा है |
जुबाँ कहने को खुल नहीं पाती ||
यही सजा है गाँव से बिछड़ने की |
नसीहत बुजुर्गों की मिल नहीं पाती ||
Bahut khoob!
शानदार रचना , अच्छी लगी
बहुत सटीक और मार्मिक चित्रण किया है
वह क्या बात है
सच अभी तक दिलों में जिंदा है |
जुबाँ कहने को खुल नहीं पाती ||
लोग सच बोलना तो चाहते है
लेकिन जुबान झूठ की आदी है
बधाई
हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
दोस्त... ये सच है कि चालाकी कभी भी देर तक चल नहीं पाती..
गजब का शेर बहुत गहरे लिए हुए
यही वजह है आपसी तकरार की |
बात बातों में मिल नहीं पाती ||
अगर सभी को एक दुसरे की बात का सही
अर्थ समझ में आजाये तो कोई समस्या न हो
सच अभी तक दिलों में जिंदा है |
जुबाँ कहने को खुल नहीं पाती ||
हर बार सहजता के बढिया गजल कह रहे हैं आप ।
पीसिंह जी
सारे शेर अच्छे बन पड़े हैं.......
कली बागों में खिल नहीं पाती |
गीत भंवरों का सुन नहीं पाती ||
बढ़िया मतला है.......
सच अभी तक दिलों में जिंदा है |
जुबाँ कहने को खुल नहीं पाती ||
बहुत अच्छे बेटा.......
यही सजा है गाँव से बिछड़ने की |
नसीहत बुजुर्गों की मिल नहीं पाती ||
व्याकरण के हिसाब से गलत है मगर भाव बहुत अच्छा है........
यही वजह है आपसी तकरार की |
बात बातों में मिल नहीं पाती ||
वाह वाह घर घर की कहानी लिख दी .........!
बहुत ही बढ़िया रचना...दिल को छू जाने वाली,
**********************************
यही सजा है गाँव से बिछड़ने की
नसीहत बुजुर्गों की मिल नहीं पाती .....
कमाल का शेर हैं ....... बहुत ही लाजवाब ग़ज़ल है ....... हक़ीकत से जुड़ा .........
सिंह साहब
इस शेर की जितनी तारीफ की जाये कम है
लाजबाब शेर
सच अभी तक दिलों में जिंदा है |
जुबाँ कहने को खुल नहीं पाती ||
धन्यवाद
सच अभी तक दिलों में जिंदा है |
जुबाँ कहने को खुल नहीं पाती ||
Bahut khub.Kab khulegi juban?
एक टिप्पणी भेजें