शनिवार, 6 अगस्त 2011

दरवाजे दिल के.....

आइने खुद को दगा देते है |
हकीकत चहरो की बता देते है ||

जरा सा प्यार से पूछा किसी ने |
रास्ता अपने घर का बता देते है ||

जुल्म जब हद से गुजर जाता है |
अपने भी हाथ उठा देते है ||

शर्द मौसम में शाम ढलते ही |
दरवाजे दिल के लगा देते है ||

घर से निकले थे इबादत के लिए |
किसी रोते को हंसा देते है ||

चलो कुछ हट के कोई बात करें |
आग दुनियां को लगा देते है ||

10 टिप्‍पणियां:

Dev ने कहा…

लाजवाब प्रस्तुति ....अतिउत्तम

Smart Indian ने कहा…

सुन्दर विचार!

ज्योति सिंह ने कहा…

जरा सा प्यार से पूछा किसी ने |
रास्ता अपने घर का बता देते है ||
घर से निकले थे इबादत के लिए |
किसी रोते को हंसा देते है ||
चलो कुछ हट के कोई बात करें |
आग दुनियां को लगा देते है ||
bahut hi khoobsurat

Urmi ने कहा…

बहुत सुन्दर लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! शानदार प्रस्तुती!

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

आइने खुद को दगा देते है |
हकीकत चहरो की बता देते है ||

Umda Panktiya..... Khoob Kaha..

Pawan Kumar ने कहा…

अब बात बनी...... लगातार लिखने का सिलसिला बनाये रखो...

पिछली ग़ज़ल लाजवाब थी... यह उससे दो कदम आगे की ग़ज़ल है....

आइने खुद को दगा देते है |
हकीकत चहरो की बता देते है ||

बहुत सुन्दर बिम्व तैयार किया प्यारे.....!!!!

घर से निकले थे इबादत के लिए |
किसी रोते को हंसा देते है ||

निदा साहब का शेर याद आ गया... " घर से मस्जिद है बहुत दूर चलोयूँ कर ले, किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाये.." बहुत खूब!!!!

चलो कुछ हट के कोई बात करें |
आग दुनियां को लगा देते है ||

अच्छा शेर ....

इस शानदार अभिव्यक्ति पर पूरे नंबर....!

केवल राम ने कहा…

चलो कुछ हट के कोई बात करें |
आग दुनियां को लगा देते है ||

हर शेर लाजबाब है और बहुत गहरे अर्थ लिए हुए है ....आपका आभार

संजय भास्‍कर ने कहा…

वाह!!!वाह!!! क्या कहने, बेहद उम्दा

Anurag ने कहा…

wah..singh sahab wah
kamal karte ho ap bhi
bahut sundar gazal janab

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

बस एक लफ्ज़: खूबसूरत!
आशीष
--
मैंगो शेक!!!

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