बुधवार, 13 अप्रैल 2011

कहीं चन्दा कहीं.....

कहीं चन्दा कहीं तारे कही जुगनू चमकते है |
हजारों खुशबुएँ नाकाम है जब वो महकते है ||

कौन कहता इश्क में मंजिल नहीं मिलती |
मुहब्बत की कशिश से दोस्तों पत्थर पिघलते है ||

खुदाया बख्श दे ऐसी नियामत आज उनको |
हजारों फूल हों पैदा जहाँ पत्थर निकलते है ||

गैरों की छोड़ो बात हम अपनों की करते है
गर्दिश में जो हों तारे यहाँ चहरे बदलते है ||

ये कौन सी दुनिया में आ गये है हम |
अमन के फूल खिलते थे वहां शोले दहकते है ||

19 टिप्‍पणियां:

आशु ने कहा…

गैरों की छोड़ो बात हम अपनों की करते है
गर्दिश में जो हों तारे यहाँ चहरे बदलते है ||

बहुत सच कहा है ...सुदर रचना..बधाई..

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

ये कौन सी दुनिया में आ गये है हम |
अमन के फूल खिलते थे वहां शोले दहकते है ||
...वाह!

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत सुन्दर लाजवाब रचना| धन्यवाद|

Pawan Kumar ने कहा…

भाई बहुत ही प्यारी और शानदार ग़ज़ल लिखी है....मतला तो गज़ब का है..हैरान हूँ कैसे इतना प्यारा मतला लिख दिया तुमने...
लग रहा है कि मुशायरे का असर अभी तरी है तुम पर.....
वैसे पूरी ग़ज़ल अच्छी है मगर मतले ने दिल लूट लिया...
कहीं चन्दा कहीं तारे कही जुगनू चमकते है |
हजारों खुशबुएँ नाकाम है जब वो महकते है ||

कौन कहता इश्क में मंजिल नहीं मिलती |
मुहब्बत की कशिश से दोस्तों पत्थर पिघलते है ||

ये शेर बहुत खूब बन पड़ा है.

खुदाया बख्श दे ऐसी नियामत आज उनको |
हजारों फूल हों पैदा जहाँ पत्थर निकलते है ||

Unknown ने कहा…

लाजवाब..

केवल राम ने कहा…

खुदाया बख्श दे ऐसी नियामत आज उनको |
हजारों फूल हों पैदा जहाँ पत्थर निकलते है ||

एक एक शेर गजब का है ....क्या कहने ...बस पढ़ते जाना है ....आपका आभार

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

खुदाया बख्श दे ऐसी नियामत आज उनको |
हजारों फूल हों पैदा जहाँ पत्थर निकलते है ||
बहुत सुन्दर ख्वाहिश. आमीन.
और
गैरों की छोड़ो बात हम अपनों की करते है
गर्दिश में जो हों तारे यहाँ चहरे बदलते है ||
बहुत बड़ा सच है ये. सुन्दर ग़ज़ल.

shama ने कहा…

Aprateem rachana!

हरीश सिंह ने कहा…

बहुत अच्छी पोस्ट, शुभकामना, मैं सभी धर्मो को सम्मान देता हूँ, जिस तरह मुसलमान अपने धर्म के प्रति समर्पित है, उसी तरह हिन्दू भी समर्पित है. यदि समाज में प्रेम,आपसी सौहार्द और समरसता लानी है तो सभी के भावनाओ का सम्मान करना होगा.
यहाँ भी आये. और अपने विचार अवश्य व्यक्त करें ताकि धार्मिक विवादों पर अंकुश लगाया जा सके., हो सके तो फालोवर बनकर हमारा हौसला भी बढ़ाएं.
मुस्लिम ब्लोगर यह बताएं क्या यह पोस्ट हिन्दुओ के भावनाओ पर कुठाराघात नहीं करती.

केवल राम ने कहा…

ये कौन सी दुनिया में आ गये है हम |
अमन के फूल खिलते थे वहां शोले दहकते है ||

क्या खूब लिखा है ...शुक्रिया आपका
www.chalte-chalte.com
पर आपका स्वागत है

smshindi By Sonu ने कहा…

आपको एवं आपके परिवार को हनुमान जयंती की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ।

अंत में :-

श्री राम जय राम जय राम

हारे राम हारे राम हारे राम

हनुमान जी की तरह जप्ते जाओ

अपनी सारी समस्या दूर करते जाओ

!! शुभ हनुमान जयंती !!

भगवान हनुमान जयंती पर आपको हार्दिक शुभकामनाएँ

Unknown ने कहा…

शानदार अल्फाज़, शुद्ध भाव

रवि धवन ने कहा…

बहुत बढिय़ा सरजी।
इस रचना पर बेहद उम्दा गीत बन सकता है। बार-बार पढऩे को जी चाह रहा है।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

Vaah .. bahut dinon ke baad aaj aapko dubaara padha hai ... lajawaab gazal likhi hai ..

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

ये कौन सी दुनिया में आ गये है हम |
अमन के फूल खिलते थे वहां शोले दहकते है ||

बहुत खूब !

daanish ने कहा…

कहीं चन्दा कहीं तारे कही जुगनू चमकते है
हजारों खुशबुएँ नाकाम है जब वो महकते है

बहुत खूब कहा जनाब....
वाह !!

VOICE OF MAINPURI ने कहा…

bahut khub bhai...

BrijmohanShrivastava ने कहा…

कितने दिन बाद आ पाया इतने अच्छे शेर पढने
फूलों की जगह शोलों ने लेली है सच है

SACHIN SINGH ने कहा…

kaun kahta hai ishq mein manjil nahi milati,
MOHABBAT ki kashish se dosto pathar pighalta hai.......!!!!


Dear chacha ji,your every line is very beautiful....beside my first visit,I am very happy.....waiting ur next creaion...

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