बीती बातें दिल से लगाना ठीक नहीं |
बात बात पर बात बनाना ठीक नहीं |प्यार मुहब्बत बातें अच्छी लगती है |
आँखों से दिल का रास्ता ठीक नहीं ||ये धरती शरशब्ज लगे तो अच्छा है |
खेतों में तलवारें बोना ठीक नहीं ||सरहद को देखा तो फिर अहसास हुआ |
आंगन में दीवारें होना ठीक नहीं ||खुद में इन्सां देखो कितना बदल गया |
कहते है सब लोग जमाना ठीक नहीं ||
10 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर प्रेरणा देती रचना|
"प्यार मुहब्बत बातें अच्छी लगती है |
आँखों से दिल तक का रास्ता ठीक नहीं ||"
सिंह साहब, यूँ तो यह नज़्म आपकी कमाल की है ... पर ना जाने क्यों ऐसा लग रहा है कि अगर ऊपर दिए हुए शेर में से, "आँखों से दिल तक का रास्ता ठीक नहीं" "तक" हट जाए तो और भी बहेतर रहेगा ... आप खुद गौर फरमाएं ...
"प्यार मुहब्बत बातें अच्छी लगती है |
आँखों से दिल का रास्ता ठीक नहीं ||"
बाकी हुज़ूर ज़रा जल्दी जल्दी आमद हुआ करें तो मुनासिब हो हम जैसे आप के कद्रदानो के लिए !
ये धरती शरशब्ज लगे तो अच्छा है |
खेतों में तलवारें बोना ठीक नहीं ||
kamaal
बहुत खूब!
Bhai shivam ji
ap ki bat man li gai hai
salah ke liye shukriya
बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
हार्दिक शुभकामनायें !
ये धरती शरशब्ज लगे तो अच्छा है |
खेतों में तलवारें बोना ठीक नहीं ||
बहुत खूब!
-अच्छी रचना है.
सरहद को देखा तो फिर अहसास हुआ |
आंगन में दीवारें होना ठीक नहीं ||.....
सुन्दर रचना !
हार्दिक शुभकामनायें
प्रिय पिंटू......
काम की व्यस्तता ने तुम्हारे ब्लॉग तक आने नहीं दिया.....
वैसे देर से आने के बावजूद मन प्रशन्न हो गया.....
क्या खूब ग़ज़ल निकाली है....
बीती बातें दिल से लगाना ठीक नहीं |
बात बात पर बात बनाना ठीक नहीं |
वाह..वाह....!!!!!!
ये धरती शरशब्ज लगे तो अच्छा है |
खेतों में तलवारें बोना ठीक नहीं ||
बहुत प्यारा शेर है........ (शरशब्ज शायद टायपिंग मिस्टेक है.... सही लफ्ज़ है सरसब्ज़ !!!!)
सरहद को देखा तो फिर अहसास हुआ |
आंगन में दीवारें होना ठीक नहीं ||
सबसे उम्दा शेर!!!!!!!!!
खुद में इन्सां देखो कितना बदल गया |
कहते है सब लोग जमाना ठीक नहीं ||
अपनी उम्र से बड़ा शेर कह डाला.... बेहतरीन.....!!!!!
thanks
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