वक़्त की चाल कुछ बदली हुई है |
हर तरफ वर्फ सी पिघली हुई है ||
वो क्या हसीं मंजर है सोचो |
अँधेरी रात में चाँदनी पिघली हुई है ||
जरा तू बंद करके देख आँखें |
वही तस्वीर, पर धुंधली हुई है ||
भले ही इश्क से तौबा करली |
तमन्ना आज भी मचली हुई है ||
तुम को पा कर ये जाना |
मेरी किस्मत तो संभली हुई है ||
11 टिप्पणियां:
बढ़िया नज़्म ! बधाइयाँ !
badhiya rachna..
sach mein bahut behtareen....
keep it up...
aur haan..
meri nayi kavita ko aapka intzaar hai.........
बहुत ही सुन्दर और लाजवाब रचना! बधाई!
लाजवाब रचना .........बहुत खूब
वक़्त की चाल कुछ बदली हुई है |
हर तरफ वर्फ सी पिघली हुई है || (वर्फ की जगह बर्फ करें....!)
वो क्या हसीं मंजर है सोचो |
अँधेरी रात में चाँदनी पिघली हुई है ||
( अच्छा विम्ब तैयार किया है...बहुत खूब )
जरा तू बंद करके देख आँखें |
वही तस्वीर, पर धुंधली हुई है ||
( अच्छे तेवर हैं इस शेर में....जिंदाबाद )
भले ही इश्क से तौबा करली |
तमन्ना आज भी मचली हुई है ||
("तमन्ना फिर मचल जाये , अगर तुम मिलने आ जाओ".....जावेद अख्तर का यह शेर बरबस याद आ गया...इसे पढ़कर )
तुम को पा कर ये जाना |
मेरी किस्मत तो संभली हुई है ||
ग़ज़ल के शेर अच्छे बुने है पिंटू तुमने.....यही धार बनाये रखो......!
P. Singh ji,
Bahut hee sunder rachna hai.Yeh panktee to....kia kahun main....
तुम को पा कर ये जाना | मेरी किस्मत तो संभली हुई है |
Sache dil se kee huee tareef.
Hardeep
http://shabdonkaujala.blogspot.com
भले ही इश्क से तौबा करली |
तमन्ना आज भी मचली हुई है ||
bahut hi lajwab. Badhai!!
बहुत ही लाजवाब सिंह जी, बहुत खूब।
बढ़िया नज़्म ! बधाइयाँ !
भले ही इश्क से तौबा करली |
तमन्ना आज भी मचली हुई है ||
बहुत खूब ... लाजवाब शेर ....
Tauba na karo Singh Saab!
Machalne do tamanna ko.....
Behatareen......
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