शनिवार, 17 मार्च 2012

त्रिवेणी .............

१-जब भी दिल उदास होता है ये सोच लेते है

आज फिर कोई दिल दुखा है कही

फिर किसी ख्वाब के सीने में खंजर उतरा है |


२- मिलते है जब भी वो कुछ खोये से लगते

लगता है आँखों में जैसे लाखों राज छुपाये है

यार समन्दर से दोस्ती की है |


३- वक्त से आगे हमने भी एक रोज निकल कर देखा था

पीछे मुड कर देखा तो अपना कोई नहीं था

चंद सन्नाटे मुझ पर हंस रहे थे |


४- जिंदगी खेल है और तमाशा भी है

लोग हंस हंस के मजे लेते है

आदमी नाचता है और नाचता वो है |


- ये कौन सी दुनियां में आगया हूँ मैं

हर चेहरा पक गया है यहाँ

और जुबाँ पर वर्षों से ताले लटके है |


६- सर को भिगा के नीबू खा के

सब कुछ कर के देख लिया

यार मुहब्बत का नशा उतरता नहीं है |


- जिंदगी एक नशा है

और मुहब्बत है बोतल

जितना पियो उतनी ही प्यास बढती |

1 टिप्पणी:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सभी त्रिवानियाँ कमाल की हैं ... अनमोल ...

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