शनिवार, 17 मार्च 2012

त्रिवेणी .............

१-जब भी दिल उदास होता है ये सोच लेते है

आज फिर कोई दिल दुखा है कही

फिर किसी ख्वाब के सीने में खंजर उतरा है |


२- मिलते है जब भी वो कुछ खोये से लगते

लगता है आँखों में जैसे लाखों राज छुपाये है

यार समन्दर से दोस्ती की है |


३- वक्त से आगे हमने भी एक रोज निकल कर देखा था

पीछे मुड कर देखा तो अपना कोई नहीं था

चंद सन्नाटे मुझ पर हंस रहे थे |


४- जिंदगी खेल है और तमाशा भी है

लोग हंस हंस के मजे लेते है

आदमी नाचता है और नाचता वो है |


- ये कौन सी दुनियां में आगया हूँ मैं

हर चेहरा पक गया है यहाँ

और जुबाँ पर वर्षों से ताले लटके है |


६- सर को भिगा के नीबू खा के

सब कुछ कर के देख लिया

यार मुहब्बत का नशा उतरता नहीं है |


- जिंदगी एक नशा है

और मुहब्बत है बोतल

जितना पियो उतनी ही प्यास बढती |

गुरुवार, 15 मार्च 2012

बावस्ता.........!

देश के जाने माने प्रकख्यात प्रशासक एवं शायर
जनाब पवन कुमार (आई.ए.एस.)की पुस्तक "बावस्ता"
का विमोचन दिल्ली के अंतर राष्ट्रीय पुस्तक मेले मे हुआ | पुस्तक इतनी आकर्षक और मधुर बन पड़ी है कि देखते ही बनता है |125 प्रष्ठों की इस पुस्तक ने मेले मे धूम मचा दी इसका कवर पेज़ मशहूर चित्रकार डॉ लाल रत्नाकर ने सजाया है |"बावस्ता" को प्रकाशित किया है प्रकाशन संस्थान ने | 7*7'साइज की यह पुस्तक पाठकों का ध्यान बरबस ही अपनी तरफ खींच लेती है |इस पुस्तक को मुखातिब कराया है उर्दू के मशहूर शायर जनाब शीन काफ़ निजाम साहब ने |इस पुस्तक मे गज़लों और नज़मों का बेहतरीन संग्रह है |
शायर श्री पवन कुमार ने पहली ही गजल मे शमा बांध दिया है ..।

"उतरा है खुद्सरी पे वो कच्चा मकान अब ,
लाजिम है बारिशों का मियाँ इम्तिहान अब !"

इस गजल के सारे शेर नौलखे हार मे जड़े हीरों की तरह चमक रहे है |

और ये गजल भी खूब कही .......।

गुज़ारी ज़िन्दगी हमने भी अपनी इस करीने से,
पियाला सामने रखकर किया परहेज पीने से !!

अजब ये दौर है लगते हैं दुश्मन दोस्तों जैसे,
कि लहरें भी मुसलसल रब्त रखती हैं सफी़ने से !!
और ये गजल भी नगीना है ......
सिर्फ ज़रा सी जिद की खातिर अपनी जाँ से गुज़र गए,
एक शिकस्ता किश्ती लेकर हम दरिया में उतर गए !!

और इस शेर मे तो दिल खोल कर रख दिया है .।

समंदर सामने और तिश्नगी है !
अज़ब मुश्किल में मेरी ज़िन्दगी है !!

और गुलजार साहब सी संजीदगी है इस इस गजल मे ....।
हम तुम हैं आधी रात है और माह-ए-नीम है,
क्या इसके बाद भी कोई मंज़र अजीम है !!
और इस शेर पर दाद.।
वो खुश कि उसके हिस्से में आया है सारा बाग़,
मैं खुश कि मिरे हिस्से में बाद-ए- नसीम है !!
और ये गजल भी खूब कही .......।

गुज़ारी ज़िन्दगी हमने भी अपनी इस करीने से,
पियाला सामने रखकर किया परहेज पीने से !!

अजब ये दौर है लगते हैं दुश्मन दोस्तों जैसे,
कि लहरें भी मुसलसल रब्त रखती हैं सफी़ने से !!
और ये गजल भी नगीना है ......
सिर्फ ज़रा सी जिद की खातिर अपनी जाँ से गुज़र गए,
एक शिकस्ता किश्ती लेकर हम दरिया में उतर गए !!

और इस शेर मे तो दिल खोल कर रख दिया है .।
समंदर सामने और तिश्नगी है !
अज़ब मुश्किल में मेरी ज़िन्दगी है !!

और ये ब्रह्मास्त्र ...।
ज़मीं पर इस कदर पहरे हुए हैं !
परिंदे अर्श पर ठहरे हुए हैं !!
करें इन्साफ की उम्मीद किससे,
यहाँ मुंसिफ सभी बहरे हुए हैं !!

.......और इस नज्म ने भी दिल जीत लिया
परत दर परत
तह ब तह
जिंदगी जिंदगी
.......यही एक अमानत
बख्शी है मेरे नाम
मेरे खुदा ने........!
इसी में से
ये जिंदगी
ये उम्र
तुम्हारे नाम कर दी है.......!
पर सुनो
ये तो सिर्फ पेशगी है
तुम कहो तो
ये सारी
अमानत
तुम्हारे नाम कर दूं.....!

बहुत ही दिल काश किताब है एक बार जरूर पढ़ें !

रेटिंग ****

धन्यवाद.

खोजें