मंगलवार, 11 अक्तूबर 2011

जाने वो कौन सा देश .....जहाँ तुम चले गए |


एक महान ग़ज़ल गायक , ग़ज़ल को आम आदमी तक
पहुँचाने वाले विख्यात शख्शियत जनाब जगजीत सिंह साहब
पूरे देश को ग़मज़दा कर गए उनकायूँ आकस्मिक निधन दिल की धडकने रोक देता है
मन विश्वास करने को राजी नहीं होता मगर ये सच है कि अब वे हमारे बीच नहीं है
पूरा देश उनकी आवाज़ से महरूम होगया |
कल जब हमारे बड़े भइया माननीय श्री पवन जी का मेसेज आया तो अचानक दिल में
एसा लगा जैसे दिल कुछ देर के लिए धड़कना बंद हो गया हो सांसें रुक गयी है |
सही मायने में जगजीत सिंह साहब ने ग़ज़ल को सरल मधुर और आम इन्सान कि जुबान
पर ला दिया और ग़ज़ल गायकी के सम्राट बन गए कितने ही गजल करों को प्रतिष्ठा दिलाने में
पूर्ण योगदान है एसी सुरमई आवाज और गजल गायकी को नए अयं देने के लिए ये देश हमेशा
उनका ऋणी रहेगा .....|
ऐसे महान कलाकार को भावभीनी दिली श्रधांजलि |

शनिवार, 6 अगस्त 2011

दरवाजे दिल के.....

आइने खुद को दगा देते है |
हकीकत चहरो की बता देते है ||

जरा सा प्यार से पूछा किसी ने |
रास्ता अपने घर का बता देते है ||

जुल्म जब हद से गुजर जाता है |
अपने भी हाथ उठा देते है ||

शर्द मौसम में शाम ढलते ही |
दरवाजे दिल के लगा देते है ||

घर से निकले थे इबादत के लिए |
किसी रोते को हंसा देते है ||

चलो कुछ हट के कोई बात करें |
आग दुनियां को लगा देते है ||

मंगलवार, 26 जुलाई 2011

बुद्ध हँसते है मुस्कराते है.......

बुद्ध हँसते है मुस्कराते है |
पैदा होने की सजा पाते है ||

जिन्दा रहते तो समझे नहीं |
घर में तस्वीर अब सजाते है ||

देश को जकड़ा है भ्रष्टाचार ने |
गीत दौलत के गुनगुनते है ||

बड़ी मजबूर धरती माँ हमारी |
संसद में बोलियाँ लगाते है ||

भूख से दम तोड़ता इन्सान है |
अनाज गोदाम में सड़ाते है ||

यही इस देश का दुर्भग्य है |
झुके कंधे देश चलाते है ||

शुक्रवार, 24 जून 2011

बीती बातें...................!

बीती बातें दिल से लगाना ठीक नहीं |

बात बात पर बात बनाना ठीक नहीं |


प्यार मुहब्बत बातें अच्छी लगती है |

आँखों से दिल का रास्ता ठीक नहीं ||


ये धरती शरशब्ज लगे तो अच्छा है |

खेतों में तलवारें बोना ठीक नहीं ||


सरहद को देखा तो फिर अहसास हुआ |

आंगन में दीवारें होना ठीक नहीं ||



खुद में इन्सां देखो कितना बदल गया |

कहते है सब लोग जमाना ठीक नहीं ||

बुधवार, 13 अप्रैल 2011

कहीं चन्दा कहीं.....

कहीं चन्दा कहीं तारे कही जुगनू चमकते है |
हजारों खुशबुएँ नाकाम है जब वो महकते है ||

कौन कहता इश्क में मंजिल नहीं मिलती |
मुहब्बत की कशिश से दोस्तों पत्थर पिघलते है ||

खुदाया बख्श दे ऐसी नियामत आज उनको |
हजारों फूल हों पैदा जहाँ पत्थर निकलते है ||

गैरों की छोड़ो बात हम अपनों की करते है
गर्दिश में जो हों तारे यहाँ चहरे बदलते है ||

ये कौन सी दुनिया में आ गये है हम |
अमन के फूल खिलते थे वहां शोले दहकते है ||

खोजें